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कीर्ति स्तंभ और विजय स्तम्भ एक ही है या फिर अलग-अलग दो स्तंभ है ?

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कीर्ति स्तंभ और विजय स्तम्भ एक ही है या फिर अलग-अलग दो स्तंभ है ? 4 जवाब राजेश कुमार चौधरी ,  सोचता हु रेतीले धोरो को देखकर (1974 से - अभी तक) June 11, 2019 को जवाब दिया गया  · लेखक के  1 हज़ार  जवाब हैं और जवाबों को  19.7 लाख  बार देखा गया है कीर्ति स्तम्भ कीर्ति स्तम्भ एक स्तम्भ या मीनार है जो  राजस्थान  के  चित्तौड़गढ़  में स्थित है। इसे भगेरवाल  जैन  व्यापारी जीजाजी कथोड़ ने बारहवीं शताब्दी में बनवाया था। यह २२ मीटर ऊँची है। यह सात मंजिला है। इसमें ५४ चरणों वाली सीढ़ी है। इसमें जैन पन्थ से सम्बन्धित चित्र भरे पड़े हैं। कीर्तिस्तम्भ,  विजय स्तम्भ  से भी अधिक पुराना है। विजय स्तम्भ विजय स्तम्भ  भारत  के  राजस्थान  के  चित्तौड़गढ़  में स्थित एक स्तम्भ या टॉवर है। इसे  मेवाड़  नरेश  राणा कुम्भा  ने  महमूद खिलजी  के नेतृत्व वाली  मालवा  और  गुजरात  की सेनाओं पर विजय के स्मारक के रूप में सन् १४४२ और १४४९ के मध्य...

कीर्तिस्तम्भ

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चित्तौड़गढ़ स्थित  कीर्ति स्तम्भ कीर्ति स्तम्भ  एक स्तम्भ या मीनार है जो  राजस्थान  के  चित्तौड़गढ़  में स्थित है। इसे भगेरवाल  जैन  व्यापारी जीजाजी कथोड़ ने बारहवीं शताब्दी में बनवाया था। यह २२ मीटर ऊँची है। यह सात मंजिला है। इसमें ५४ चरणों वाली सीढ़ी है। इसमें जैन पन्थ से सम्बन्धित चित्र भरे पड़े हैं। कीर्तिस्तम्भ,  विजय स्तम्भ  से भी अधिक पुराना है। परिचय कीर्ति शब्द का अर्थ प्राचीन भारतीय  संस्कृत साहित्य  में यश के अतिरिक्त निर्माण कार्य के लिए भी हुआ है।  अमरकोश  के टीकाकार भानुजी दीक्षित ने कीर्ति शब्द की व्याख्या ‘कीर्ति: प्रसाद यशसेर्विस्तारे कर्दमेऽपि च’ किया है।  हेमचंद्र  के अनेकार्थसंग्रह में भी ‘कीर्ति: यशसि विस्तारे प्रासादे कर्दमेऽपि च’ दिया गया है। इस प्रकार कीर्ति शब्द का प्रयोग यश तथा यश को विस्तृत करनेवाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए हुआ है। अभिलेखों में भी वापी, बौद्ध, अथवा हिंदू मंदिर, तड़ाग, चैत्य और बौद्ध मट तथा मूर्तियों आदि के लिए कीर्ति शब्द का प्रयोग पाया जाता है। कीर्तिस्तंभ शब्...

केसमुत्ती सुत्त

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केसमुत्ति सुत्त केसरिया स्तूप  -  गौतम बुद्ध  ने सम्भवतः यहीं अपना  उपदेश  दिया था। केसमुत्ति सुत्त  या  कालाम सुत्त   तिपिटक  के  अंगुत्तर निकाय में स्थित  भगवान बुद्ध  के  उपदेश  का एक अंश हैं।  [1]   बौद्ध धर्म  के  थेरवाद  और  महायान सम्प्रदाय  के लोग प्रायः इसका उल्लेख बुद्ध के 'मुक्त चिन्तन' के समर्थन के एक प्रमाण के रूप में करते हैं।{ [2]  केसमुति सुत्त अधिक बड़ा नहीं है, किन्तु इसका अत्यन्त महत्त्व है। केसमुत्तिसुत्त के अन्य भाषाओं में नाम इस प्रकार हैं- पालि  : कालाम् सुत्तं या केसमुत्तिसुत्तं संस्कृत  : कालाम सूत्रं बर्मी भाषा  : कलम थोके या केथमोत्ति थोके थाई  : กาลามสูตร, कलम सुत् या केसमुत्ति सुत्त परिचय संपादित करें प्रसंग संपादित करें एक बार भगवान बुद्ध अपने विशाल भिक्खुसंघ सहित  कोसल  जनपद में चारिका करते हुए केस-मुत्त (केश-मुक्त) नामक कालामों के निगम में पहुँचे। कालाम लोग भगवान बुद्ध के सुयश को पहले से ही अच्छी तरह से जानते थे ( इति...