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Showing posts from July, 2020

बौद्ध गुफा वास्तुकला की बेनजीर शिल्प- भाजा और पीतल खोरा की गुफाएं

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बौद्ध गुफा वास्तुकला की बेनजीर शिल्प- भाजा और पीतल खोरा की गुफाएं - The Mahamaya भाजा की गुफाएं महाराष्ट्र के पुणे जनपद में, मुम्बई और पुणे के बीच आधे रास्ते के पुराने कारवां मार्ग के पास, डेक्कन पठार पर स्थित “भाजा” गुफाएं, बौद्ध गुफ़ा वास्तुकला की बेनजीर शिल्प हैं। करली से इनकी दूरी केवल तीन किलोमीटर है। लोणावाला के निकट स्थित यह 22 राक- कट गुफाओं का एक समूह है जो भाजा गांव से 400 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित है। भाजा बुद्धिस्ट गुफाएं। यहां पर ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से लेकर दूसरी सदी ईसवी तक के हीनयान बौद्ध सम्प्रदाय की 18 गुफाएं हैं जिनमें ठोस कटे हुए 14 स्तूपों का समूह है। गुफा संख्या 1, जो एक मकान तथा 10 अन्य गुफ़ा विहार हैं, वास्तुकला के महत्वपूर्ण आकर्षण हैं। गुफा संख्या 13 एक चैत्य कक्ष है और यह सबसे बड़ा है। यहां पर लकडी की नक्काशी लाजबाब है। यह गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन हैं। स्मारक का एक हिस्सा, जो 14 स्तूपों का समूह है उसमें 5 अंदरुनी तथा 9 अनियमित उत्खनन के बाहर हैं इनमें बहुत से स्तूप वहां पर रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं के अस्थि अवशेष हैं जिनका परिनिर्वाण भाजा मे...

अतीत के वैभव का खजाना - जोगेश्वरी, मण्डपेश्वर तथा महाकाली की गुफाएं

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अतीत के वैभव का खजाना - जोगेश्वरी, मण्डपेश्वर तथा महाकाली की गुफाएं - The Mahamaya भारत में राक- कट गुफाओं की खूबसूरत वास्तुकला देश के अतीत के वैभव का खजाना है।  यह गौरवशाली शिल्प कला ईसा पूर्व दूसरी सदी में, सम्राट अशोक के ज़माने में अपने चरमोत्कर्ष पर थी।  इस बात के प्रमाण उनके स्तम्भ लेखों, शिलालेखों तथा गुफाओं में मिलते हैं। देश में अब तक लगभग 1200 राक- कट गुफाओं का उत्खनन कर प्रकाश में लाया गया है।  काश् इन पत्थरों में जुबान होती और वह अपनी कहानी को बयां कर पाते तो अनुमान की गुंजाइश ही न होती।  जाने क्या रहस्य है इन गुफाओं में, क्यों बरबस इनकी ओर ध्यान जाता है, हमसे इशारों में यह क्या कहना चाहती हैं ? जोगेश्वरी की गुफाएं 10 स्तम्भों वाला कॉरीडोर, जोगेश्वरी की गुफाएं मुम्बई से लगभग 21 किलोमीटर दक्षिण में अंबोली गांव के सामने  योगेश्वरी का विशाल गुफा मंदिर  है। माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण 520 से 550 ईसवी के दौरान कोंकण के मौर्य और कलचुरी राजवंशों के द्वारा किया गया है। यह गुफाएं नहीं बल्कि अतीत के वैभव का खजाना हैं। यहां पर पाषाण कला के नमूने है...

उदयगिरि की गुफाएं- विदिशा (मध्य-प्रदेश)

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उदयगिरि की गुफाएं- विदिशा (मध्य-प्रदेश) - The Mahamaya मध्य-प्रदेश की राजधानी भोपाल से 65 किलोमीटर दूर, भोपाल-दिल्ली रेलमार्ग पर “विदिशा” शहर स्थित है। यहीं पर विदिशा से 6 किलोमीटर दूर बेतवा और बैस नदी के बीच,हलाली नदी के किनारे “उदयगिरि की गुफाएं” स्थित हैं। ऐतिहासिक स्थल सांची से इसकी दूरी 13 किलोमीटर है। उदयगिरि विदिशा से वैस नगर होते हुए पहुंचा जा सकता है। नदी से यह गिरि लगभग एक मील की दूरी पर है। पहाड़ी के पूर्व की तरफ पत्थरों को काटकर बनाई गई इन गुफाओं में प्रस्तर मूर्तियों के जो प्रमाण मिलते हैं वह भारतीय कला के इतिहास में मील का पत्थर हैं। उदयगिरि की गुफाओं में कुल 20 गुफाएं हैं। पत्थरों को काटकर छोटे -छोटे कमरे बनाए गए हैं। उदयगिरि को पहले “नीचैगिरि” के नाम से जाना जाता था। 10 वीं शताब्दी में जब धार के परमारों के हाथ में आ गया तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने इस स्थान का नाम “उदयगिरि” रखा। यहां की गुफ़ा नं 1 का स्थानीय नाम “सूरज” गुफा है। यह 7 फ़ीट लम्बी तथा 6 फ़ीट चौड़ी है। गुफा संख्या 3 का भीतरी कक्ष 86 फ़ीट का है जिसकी गहराई 6 फ़ीट 4 इंच है। गुफा संख्या 4 को “वीणा” गुफा के...

भारत की ऐतिहासिक धरोहर- बेडसा, कोण्डाने, जुन्नर, शिवनेरी तथा लेण्याद्रि गुफाएं

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भारत की ऐतिहासिक धरोहर- बेडसा, कोण्डाने, जुन्नर, शिवनेरी तथा लेण्याद्रि गुफाएं - The Mahamaya बेडसा गुफाएं मुम्बई- पुणे रेलमार्ग पर बड़गांव स्टेशन से 6 मील की दूरी पर स्थित “बेडसा” की गुफाएं महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक हैं। अशोक कालीन स्तम्भ, बेडसा गुफाएं पुणे से लगभग 45 किलोमीटर दूर,मावल तालुका में स्थित इन गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व पहली सदी में किया गया था यहां पहाड़ी पर कार्ले और भाजा के गुफा मंदिरों के समान ही बौद्ध गुफाएं हैं।कार्ले की गुफाओं से इनकी दूरी लगभग 10 मील है। बेडसा की गुफाओं की गणना गुहा वास्तुकला के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में की जाती है।इन गुफाओं में चट्टान को काटकर कुछ तालाब और एक स्मारक स्तूप भी बनाया गया है। यहां पर दो पूरी और दो अधूरी गुफाएं हैं। ढलान पर बनी सीढ़ियों की एक श्रृंखला के माध्यम से वहां पर पहुंचा जा सकता है। बौद्ध स्तूप, बेडसा गुफाएं “बेडसा” की गुफाओं के मुख मंडप में दो बड़े स्तम्भ हैं जिन पर अशोक कालीन स्तम्भों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह स्तम्भ अष्टकोणीय हैं। यहां पर मानव एवं पशु दोनों की आकृतियों का सफ...

पंचमढ़ी की गुफाएं

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पंचमढ़ी की गुफाएं (म.प्र.) - The Mahamaya “सतपुड़ा की रानी” के नाम से मशहूर पंचमढ़ी, मध्य – प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर होशंगाबाद जिले में स्थित हैं। मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक पंचमढ़ी सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा हुआ एक मात्र हिल स्टेशन है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर यहां पर 5 प्राचीन गुफाएं बनी हुई हैं। इन्हीं 5 गुफाओं के कारण इस स्थान को “पंचमढ़ी” कहा जाता है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित पंचमढ़ी गुफाएं पुरातत्व विभाग के विद्वान मानते हैं कि कि यह गुफाएं बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित की गई हैं। पुरातत्व विदों का यह भी मानना है कि इनका निर्माण गुप्त काल में हुआ है। अभी हाल में ही गुफाओं के पास एक स्तूप भी खोजा गया है। यह थोड़ा सा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मिला है। पंचमढ़ी की खोज सन् 1857 में बंगाल लांसर के कैप्टन जेम्स फॉरसिथ ने की थी। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है जो मुम्बई- हावड़ा रेल मार्ग पर इटारसी व जबलपुर के बीच पंचमढ़ी से 47 किलोमीटर दूर है। भोपाल, इन्दौर, होशंगाबाद, नागपुर, छिंदवाड़ा तथा पिपरिय...

बौद्ध दर्शन तथा कला का उत्कृष्ट नमूना- कार्ले की गुफाएं

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बौद्ध दर्शन तथा कला का उत्कृष्ट नमूना- कार्ले की गुफाएं Posted on  जून 26, 2020 भारत भूमि पर मौजूद बौद्ध दर्शन तथा कला के उत्कृष्ट शिल्प, देश के गौरवशाली अतीत की अनमोल धरोहर हैं। महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित,भोरघाट नामक पहाड़ी पर निर्मित कार्ली की गुफाएं भी बौद्ध धर्म की संस्कृति की बेहतरीन कला की प्रतीक हैं। पूना से 60 किलोमीटर तथा लानवी स्टेशन से 6 मील दूर लोनावाला के निकट कार्ली में स्थित यह राक -कट गुफाओं का परिसर है। कार्ले की गुफाएं, लोनावला, महाराष्ट्र । “कार्ली” का प्राचीन नाम विहार गांव है। यह नाम यहां पर स्थित बौद्ध विहार के कारण हुआ था। आज यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा संरक्षित स्मारक है। कार्ली चैत्य प्राचीन भारत के सर्वाधिक सुंदर और भव्य स्मारकों में से एक है। इसमें एक लेख खुदा हुआ है जिसके अनुसार वैजयंती के भूतपाल नामक एक सेठ ने सम्पूर्ण जम्बूद्वीप में इस शैलगृह को निर्मित कराया था।चैत्य गृह के विलक्षण वास्तु विन्यास एवं तक्षण को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि निर्माता का यह दावा निर्मूल नहीं है। सम्भवतः कार्ले चैत्य का निर्माण पुलुवामी के शासन काल...

बोरा तथा बेलम की गुफाएं व नागार्जुन कोंडा

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बोरा तथा बेलम की गुफाएं व नागार्जुन कोंडा (आन्ध्र-प्रदेश) - The Mahamaya अपने अतीत में गौरवशाली विरासत को संजोए हुए आन्ध्र-प्रदेश भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार के यूनानी राजदूत मेगास्थनीज ने यहां का दौरा किया था। भगवान बुद्ध भी धान्यकटकम्, जिसे अब अमरावती के नाम से जाना जाता है में पधारे थे। तिब्बती विद्वान तारानाथ के अनुसार अपने ज्ञानोदय के अगले वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को बुद्ध देव ने धान्य कटक के महान स्तूप के पास महान नक्षत्र (कालचक्र) मंडलों का सूत्रपात किया था। सम्राट अशोक के 13वें शिलालेख में इस बात का जिक्र है कि यह क्षेत्र उसके साम्राज्य का हिस्सा था। आज अमरावती का स्तूप जमींदोज हो गया है जिसका मात्र एक टीला अवशेष है। इस पवित्र स्थल का समस्त गौरव अब अतीत का विषय बन चुका है। नागार्जुन बोधिसत्व, नागार्जुन पहाड़ी, गुंटूर जिला, आंध्र प्रदेश, भारत। आज आन्ध्र-प्रदेश भारत का एक राज्य है। यहां के 88.5 प्रतिशत लोगों की भाषा तेलगू है। आन्ध्र-प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को “थोक दवा बाजार की राजधानी” माना जाता है। गोदावर...

Behind China’s Hindu temples, a forgotten history

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Behind China’s Hindu temples, a forgotten history A panel of inscriptions of the God Narasimha adorns the entrance to the main shrine of the temple, believed to have been installed by Tamil traders who lived in Quanzhou in the 13th century. Photo: Ananth Krishnan | Photo Credit:  ANANTH KRISHNAN Ananth Krishnan QUANZHOU (FUJIAN):  19 JULY 2013 23:55 IST UPDATED: 12 SEPTEMBER 2016 15:27 IST         In and around Quanzhou, a bustling industrial city, there are shrines that historians believe may have been part of a network of more than a dozen Hindu temples and shrines For the residents of Chedian, a few thousand-year-old village of muddy by-lanes and old stone courtyard houses, she is just another form of Guanyin, the female Bodhisattva who is venerated in many parts of China. But the goddess that the residents of this village pray to every morning, as they light incense sticks and chant prayers, is quite unlike any deity one might find elsewhere in Chi...